बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ - भारतीय समाज में लौकिकता को धर्म निरपेक्षता के नाम से जाना जाता है। गाँधी जी ने भी इसका समर्थन किया। उनके अनुसार, सैक्युलर ( Secular) का अर्थ धर्महीनता नहीं अपितु सर्वधर्म स्वभाव की प्रक्रिया अर्थात् स्वतन्त्र देश के नागरिक अपने धर्म को पहचाने तथा दूसरे के धर्म के प्रति सद्भाव तथा आदर रखे।
धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारक - धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारक निम्नलिखित हैं.
(1) भारतीय संस्कृति का धर्मनिरपेक्षवाद - भारत धर्म प्रधान देश है। सभी धर्म के अपने सिद्धान्त, दर्शन व परम्परायें हैं किन्तु आधुनिक युग की शिक्षा, विज्ञान, फिल्म, समाचार पत्र आदि का अपना महत्व है जो धर्मनिरपेक्षवाद को निरन्तर प्रोत्साहन दे रहे हैं और धार्मिक जड़वाद को ये अपने प्रचार के माध्यम से निरन्तर खण्डन कर रहे हैं। भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के कारण वे अपने समस्त साधनों से धर्मनिरपेक्षवाद का प्रचार व प्रसार कर रहे हैं। इससे धर्मनिरपेक्षता की भावना में निरन्तर प्रसार हो रहा है।
(2) सांविधानिक प्रावधान - संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27, 28, 29 और 30 में इस बात की स्पष्ट व्याख्या की गई है कि व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने उसका प्रचार करने की स्वतन्त्रता प्राप्त है। व्यक्ति धार्मिक मामलों का प्रबन्ध करने के लिये स्वतन्त्र है उसे सरकार से आज्ञा लेने की आवश्यकता नहीं है पर कोई अपने धर्म उन्नति व प्रचार व प्रसार के लिये करों की वसूली पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। इसी प्रकार कोई भी शैक्षिणिक संस्थान धार्मिक शिक्षा नहीं दे सकता। अल्पसंख्यकों अपनी इच्छानुसार शिक्षण संस्थाओं को स्थापित करने की स्वतन्त्रता है। संविधान की उपरोक्त सुविधायें धर्मनिरपेक्षता के विकास में सहायक सिद्ध हुई हैं।
(3) आधुनिक शिक्षा - प्राचीन भारतीय शिक्षा की पद्धति समाप्त हो रही है और उसके स्थान पर अंग्रेजी स्कूल, कालेजों की स्थापनायें हो रही है। जिसमें विद्यार्थियों को आधुनिकतम विषयों को पढ़ाया जाता है। इस शिक्षा पद्धति में धर्म का कोई स्थान नहीं है। इस पद्धति ने व्यक्ति को प्रगतिशील, विचारशील और तर्कशील बनाया और धर्म सम्बन्धी अन्य विश्वासों को खण्डन करने के योग्य बनाया है। इससे धर्मनिरपेक्षवाद का प्रभाव समाज पर निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
(4) पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता - पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता में कुछ ऐसी विशेषतायें हैं जो व्यक्ति को प्रगतिशील बनाती है। धर्म के अनेक अन्धविश्वासी बन्धनों को तोड़ने की प्रेरणा देती है। जातिवाद की कुरीतियों को समाप्त करने के लिये प्रोत्साहन देती है। यह इसी संस्कृति की देन है कि सती प्रथा, बाल विवाह को सदैव के लिए कानूनी रूप से समाप्त किया और विधवा पुनर्विवाह को मान्यता दी गई। अन्तर्जातीय विवाह की दर में निरन्तर वृद्धि हो रही है। ये सभी चीजें व्यक्ति को धार्मिक संकीर्णताओं से ऊपर उठने के लिये प्रेरित करती हैं और सभी धर्मों को समान समझने की समझ व्यक्तियों में उत्पन्न करती हैं। इस तरह पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता ने धर्मनिरपेक्षवाद को शक्ति प्रदान की है।
(5) सामाजिक और धार्मिक सुधार आन्दोलन - पुनर्जागरण युग को सामाजिक कुरीतियों के सुधार व विवाह, छुआ-छूत आदि के विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ किए गए। अंग्रेजी स्कूलों की स्थापना की गयी। विधवा पुनर्विवाह की वकालत की गई इन सभी चीजों ने धर्मनिरपेक्षवाद के आन्दोलन को प्रशस्त किया है।
(6) वैधानिक सुधार की प्रक्रिया - धर्मनिरपेक्ष राज्य स्थापना में वैधानिक दृष्टि से जो सुधार किये जाते हैं उनका महत्व कम नहीं है। बालविवाह, सती प्रथा को कानून बनाकर समाप्त किया गया, वही विधवा पुनर्विवाह को मान्यता दी गई। अस्पृश्यता को वैधानिक रूप से समाप्त किया गया। सभी धर्मों को राज्य की दृष्टि से समान समझा गया। सभी जाति और धर्म के व्यक्तियों को समान अवसर उन्नति के दिए गए। जाति और धर्म के भेद-भाव को समाप्त किया गया। संविधान में दिये गए मूल अधिकारों में धर्मनिरपेक्षवाद को और भी अधिक शक्तिशाली बनाने में सहायता की है।
(7) यातायात और सन्देशवाहन के साधनों का योगदान - यातायात और संदेश वाहन के साधनों. ने विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों को एक स्थान पर मिलने का अवसर दिया है। रेल, बस, टैक्सी और वायुयान के द्वारा व्यक्ति यात्रा करता है। इस यात्रा के दौरान वह विभिन्न जाति, धर्म और सम्प्रदाय के व्यक्तियों से मिलता है एवं विचारों का परस्पर आदान-प्रदान होता है। ये सभी व्यक्ति के सोचने के ढंग को व्यापक और विशाल बनाते हैं। यातायात के साधनों ने विभिन्न जाति और धर्म के व्यक्तियों को एक स्थान पर, एक मेज पर, एक फैक्टरी और मिल में साथ-साथ कार्य करने का अवसर प्रदान किया। इससे अस्पृश्यता की भावना में जहाँ कमी आई वहीं धार्मिक अन्धविश्वास में टूटन भी आई। सन्देश वाहन के साधनों में विकास होने से सामाजिक सम्बन्धों की विकास की सीमाओं में वृद्धि हुई। ये सभी चीजें धर्मनिरपेक्षतावाद को स्थापित करने में सहयोगी हुई है।
(8) राजनैतिक दलों का योगदान - आधुनिक युग में सभी राजनैतिक दल यह अनुभव करने लगे हैं कि इतने विशाल देश का कल्याण संकीर्ण जातिवाद और धर्म से नहीं हो सकता है। समाजवादी दल तो अत्यधिक प्रगतिशील है। इनका जाति, धर्म और ईश्वर में बिल्कुल विश्वास नहीं है। इनका मानव कल्याण, मानव उत्थान और सही अर्थों में समानता की भावना में विश्वास है। ये अन्धविश्वास और धार्मिक ढोंग में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है। इस तरह राजनैतिक दल ने धर्मनिरपेक्षवाद को प्रोत्साहित किया है।
(9) नगरीकरण का बढ़ता हुआ प्रभाव - नगर विभिन्नताओं का केन्द्र है। यह विभिन्न संस्कृति, धर्म, जाति, सम्प्रदाय, व्यवसाय, शिक्षा आदि का केन्द्र स्थल है। व्यक्ति यहाँ जाति, धर्म और सम्प्रदाय की संकुचित सीमाओं में रहकर जीवित नहीं रह सकता है। यहाँ सामाजिक सम्बन्धों का दायरा बढ़ा है। यहाँ सोचने के ढंग में व्यापकता है। यहाँ पाश्चात्य संस्कृति के प्रगतिशील विचारों का प्रभाव अधिक दिखाई पड़ता है जो व्यक्ति को भौतिकवादी, विवेकशील और व्यक्तिवादी अधिक बनाते हैं। ये धर्मनिरपेक्षवाद की प्रक्रिया पर बल देते हैं।
(10) हिन्दुओं में धार्मिकता का अभाव - हिन्दू धर्म इतना प्रगतिशील है कि उसकी अनेक शाखायें हैं। इसका कोई एक ईष्ट देवता नहीं है। उनका कोई समान अनुष्ठानिक प्रतिमान नहीं है। हिन्दू- अपने धर्म को माने या न माने फिर भी वह हिन्दू ही कहलाता है। इतना प्रगतिवादी धर्म संसार में कहीं नहीं देखा जा सकता है। समय के अनुसार इस धर्म के अपने को परिवर्तित कर लेते हैं। मुगल युग में मुगल संस्कृति को ऐसा अपनाया कि वह आज भी हमारे जीवन पद्धति का महत्वपूर्ण अंग है। हिन्दू धर्म की इस व्यापकता ने धर्म निपेक्षवाद के आन्दोलन की शक्ति प्रदान की।
(11) परम्परात्मक व्यवसाय के क्षेत्र में परिवर्तन - परम्परागत व्यवसाय व्यक्ति को जड़ और धार्मिक बनाते हैं। संकीर्ण विचारों को बनाते हैं। कूपमन्हूप बनाते हैं। ये व्यक्ति को अपनी सीमाओं से बाहर नहीं निकाल देते हैं। किन्तु आज औद्योगीकरण की प्रगति ने व्यक्ति को जातिगत व्यवसाय को त्यागने के लिये विवश किया है। जहाँ ब्राह्मण ने पूजा-पाठ केवल जीविका अर्जन के साधन को त्याग है वहीं हरिजन भी अपने काम को छोड़ता जा रहा है। इस प्रवृत्ति ने छोटे और बड़े की भावना को कम किया है और धर्मनिरपेक्षता की भावना का प्रसार किया है।
(12) धर्मनिरपेक्ष राज्य - देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना होने से राज्य की दृष्टि और कार्य करने के ढंग में व्यापकता आई है। वह अपने समस्त साधनों के द्वारा इस बात का प्रचार करती है कि धर्म, जाति और सम्प्रदायवाद से देश और व्यक्ति का कल्याण नहीं हो सकता है। सभी को मिलकर देश के उत्थान में भाग लेना पड़ेगा। व्यक्ति को जाति और धर्म से ऊपर उठना पड़ेगा। वैधानिक रूप से सरकार ने उन चीजों को समाप्त करने का प्रयास किया है। जो धर्म और जाति के नाम पर व्यक्ति और देश को बौना बनाते है ऐसे अनेक कानूनों की व्याख्या की जा चुकी हैं। चाहे अस्पृश्यता का कानून हो या नागरिकों के मूल अधिकार के। इस तरह भारतीय सरकार धर्मनिरपेक्षवाद को सही अर्थों में प्रसारित और प्रचारित करने के लिये दृढ़ संकल्प है।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
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- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
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- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
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- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
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- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
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- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?